हाइड्रोजन कार इन हिंदी और हाइड्रोजन कार कैसे काम करती है ?

हाइड्रोजन कार इन हिंदी

आज के इस आर्टिकल में हम आपको हाइड्रोजन कार के बारे में बताएँगे, हाइड्रोजन कार कैसे काम करती है और हाइड्रोजन कार इन हिंदी, और साथ ही हम आपको हाइड्रोजन कार से जुडी बहुत सी महत्वपूर्ण बाते आपके साथ साझा करेंगे जिससे आपके लगभग सभी प्रश्नो के उत्तर आपको मिल जाएंगे तो चलिए जानते है इसके बारे में |

हाइड्रोजन फ्यूल कार कैसे काम करती है ?

हाइड्रोजन-कार-इन-हिंदी
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हाइड्रोजन फ्यूल कार एक पानी से चलने वाली कार ही तो है लेकिन बस थोड़ा सा इस पानी की प्रोसेस करनी पड़ती है और आपको पता ही है पानी इन्वायरमेंट के लिए एकदम फ्रेंडली है तो जो हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली कार है वह इन्वायरमेंट के लिए बहुत ही बेस्ट है जहां डीजल पेट्रोल वाली कार CO2 रिलीज करती है वही हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली कार सिर्फ और सिर्फ पानी एक्सॉस्ट के रूप में निकलता है और वह भी इतना साफ होता है कि जिसको हम पी सकते हैं | यदि एनर्जी डेंसिटी वेट के हिसाब से देखें जहां 1 लीटर पेट्रोल जो पावर जनरेट करता है वह लगभग 12000 व टावर की है वहीं पर यदि हम हाइड्रोजन को देखें तो 1kg हाइड्रोजन लगभग 40 वाट पावर पावर जनरेट करता है देखा जाए तो पेट्रोल से 3 गुना ज्यादा और लिथियम आयन बैटरी से लगभग 236 टाइम ज्यादा बीएमडब्ल्यू ने कुछ टाइम पहले कार बनाई थी |

BMW में हाइड्रोजन फ्यूल को यूज कैसे करते है ?

हाइड्रोजन-कार-इन-हिंदी
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2005 से 2007 के बीच में उसमें इंजन तो जो पेट्रोल डीजल वाली कार का होता है वैसा का वैसा ही सेट किया था लेकिन उसमें उसने जहां पेट्रोल यूज़ होता है वहां पर हाइड्रोजन फ्यूल को यूज किया था | कम्बस्टन के रूप में तो कार की पावर इतनी ज्यादा बढ़ गई कि जो इंजन के आरपीएम जहां पेट्रोल की कार में 7000 से 8000 आरपीएम होता है वहां पर हाइड्रोजन से 15 से 20000 आरपीएम तक पहुंच गए | अब इतनी ज्यादा पावर जब कार में आ जाएगी तो इंजन के पार्ट्स है वह बहुत जल्दी खराब होने लगेंगे 1 तरीके से कार की रिपेयरिंग कॉस्ट बढ़ जाएगी तो साइंटिस्ट ने एक अलग दिमाग लगाया और उन्होंने जो हाइड्रोजन है उसको ऑक्सीजन के साथ में रिजेक्ट करवा कर डायरेक्ट इलेक्ट्रिसिटी जनरेट की और उस इलेक्ट्रिसिटी से मोटर को घुमाया एक तरीके से हम कह सकते हैं कि जो हाइड्रोजन कार होती है वह इलेक्ट्रिक कार ही होती है जहां पर इलेक्ट्रिक कार में बैटरी को यूज में लिया जाता है मोटर को घुमाने के लिए वहीं पर हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली कार में हाइड्रोजन फ्यूल को यूज में लिया जाता है इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करने के लिए हाइड्रोजन फ्यूल कार में कुछ गिने-चुने ही इक्विपमेंट होते हैं |

हाइड्रोजन फ्यूल टैंक कितना बड़ा होता है ?

यहां पर यह हाइड्रोजन फ्यूल टैंक लगा हुआ है | इसके अंदर हाइड्रोजन को कंप्रेस करके भरा जाता है और हाइड्रोजन को बढ़ने के लिए यहां पर एक पीछे की तरफ नोज़ल लगा हुआ है आगे की तरफ यहां पर एक फूल से लगाया जिसमें ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का रिएक्शन होता है | रिवर्स इलेक्ट्रोलिसिस से और इस रिएक्शन में इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होती है |

हाइड्रोजन में रिवर्स इलेक्ट्रोलिसिस क्या है ?

हाइड्रोजन-कार-इन-हिंदी
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अब इस इलेक्ट्रिसिटी को दो तरीके से यूज कर सकते हैं एक तो डायरेक्ट जो इस फ्यूल सेल के अंदर इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होती है उसे मोटर को घुमा दिया जाए या फिर इसमें बैटरी भी यूज कर सकते हैं जैसा कि आप यहां पर देख रहे हो इस बैटरी का यूज सिर्फ इतना ही होता है कि जब पीक पावर की जरूरत पड़ती है इमरजेंसी कंडीशन में यानी मोटर को कुछ एक्स्ट्रा पावर की जरूरत पड़ती है तो इस बैटरी से ले सकें लेकिन इस बैटरी की साइज इलेक्ट्रिक कार के कंपैरिजन में बहुत छोटी होती है और दूसरा इसका फायदा यह भी है कि जब काल ढलान में चल रही होती है तो मोटर इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करती है जिसको रीजेनरेटिव ब्रेकिंग बोलते हैं और जो मोटर पावर जनरेट करती है उसको इस बैटरी में सेव किया जा सके |

अब जब हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का रिएक्शन होता है तो सिर्फ और सिर्फ पानी निकलता है आपको पता है पानी का फार्मूला होता है H2o जिसमें हाइड्रोजन के दो एटम होते हैं और ऑक्सीजन का एक और यह मिलकर पानी बनाते हैं तो इस फ्यूल सेल के अंदर ऑक्सीजन इन्वायरमेंट से ले ली जाती है और हाइड्रोजन टैंक के अंदर भरी रहती है तो इस फ्यूल सेल के अंदर एक केमिकल प्रोसेस होती है रिवर्स इलेक्ट्रोलिसिस की जिससे इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होती है और इसी वजह से हाइड्रोजन कार के अंदर बाहर सिर्फ और सिर्फ पानी निकलता है जब फ्यूल सेल के अंदर इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होती है तो उस इलेक्ट्रिसिटी को जैसे इलेक्ट्रिक कार में इनवर्टर को यूज किया जाता है वैसे ही यहां पर इनवर्टर को यूज करके डीसी को ऐसे में कन्वर्ट करके मोटर को रन किया जाता है जो ड्राइवर होता है उसके लिए इलेक्ट्रिक कार और हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाले कार में कोई ज्यादा फर्क नहीं है स्पीड को कंट्रोल करने के लिए कंट्रोलर लगा रहता है जो दोनों ही कारों में सेम होता है बस फर्क होता है इनके अंदर जो पावर जनरेट होती है उसका की पावर जनरेट कैसे हो रही है |

हाइड्रोजन कार के फायदे और नुक्सान क्या क्या है?

हाइड्रोजन-कार-इन-हिंदी
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कुछ के फायदे हैं तो कुछ इसके खतरनाक नुकसान भी है हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली कार के बेनिफिट हम दो तरीके से देखते हैं एक हमारे हिसाब से जिसको हम यूज करने वाले हैं और दूसरा पर्यावरण के हिसाब से

हाइड्रोजन कार के फायदे क्या क्या है ?

यदि हमारे हिसाब से देखें तो इस कार ने डीजल और पेट्रोल इंजन को रिप्लेस कर दिया है और इसमें कोई बैटरी भी यूज़ नहीं हो रही है तो कार एकदम हल्की हो जाएगी जिससे कार का एवरेज बढ़ेगा दूसरी बात यह एकदम प्योर इलेक्ट्रिक कार है जो कार की स्टार्टिंग टॉर्क होता है वह भी बहुत शानदार होगा क्योंकि इलेक्ट्रिक मोटर लो आरपीएम पर भी अच्छा खासा टॉर्च जनरेट करती है और यदि इन्वायरमेंट के हिसाब से देखा जाए तो इन्वायरमेंट के लिए यह एकदम फ्रेंडली एनवायरमेंट को बिल्कुल भी प्रदूषित नहीं करती है क्योंकि इस कार में बाहर सिर्फ पानी निकलता है और पानी हमारे इन्वायरमेंट के लिए हंड्रेड परसेंट सही है |

जहां इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज करने के लिए लगभग 60 मिनट का टाइम लगता है वह भी फास्ट चार्जर से लेकिन इनकार को रिफ्यूल करने के लिए सिर्फ 5 मिनट से भी कम टाइम लगेगा जैसे पेट्रोल-डीजल का सिस्टम होता है ठीक वैसा ही है यदि थोड़ी दूरी के हिसाब से देखा जाए तो फुल हाइड्रोजन टैंक लगभग 500 किलोमीटर तक कार को रन करवा सकता है जबकि 500 किलोमीटर जो प्योर इलेक्ट्रिक कार है जिसमें बैटरी यूज होती है उसके लिए बहुत बड़ी बैटरी की जरूरत पड़ेगी जो कार का वजन बढ़ा देगी जिससे उसका चार्जिंग टाइम भी बढ़ जाएगा जहां प्योर इलेक्ट्रिक कार जिसमें बैटरी यूज होती है उसमें बैटरी की कूलिंग के लिए मेकैनिज्म तैयार करना होता है लेकिन हाइड्रोजन फ्यूल में ऐसी कोई भी जरूरत नहीं है इसमें बाहर के इन्वायरमेंट के टेंपरेचर का कोई फर्क नहीं पड़ता है |

हाइड्रोजन-कार-इन-हिंदी
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हाइड्रोजन कार के नुक्सान क्या क्या है ?

पहले डिसएडवांटेजेस का यह है कि इस कार की कॉस्ट बहुत ज्यादा है लगभग 80000 यूएस डॉलर जो मिडिल और अपर क्लास के कारण उनकी यह रेंज है इंडियन रुपीस के हिसाब से देखें तो लगभग 60 से 70 लाख रुपए और इसके पीछे रीजन यह है कि हाइड्रोजन गैस की जो डेंसिटी है वह बहुत ही कम है जहां पेट्रोल डीजल की कार में 30 लीटर का टैंक होता है उतने टैंक में सिर्फ और सिर्फ 0.45 केजी ही हाइड्रोजन उसमें भर पाएंगे और वह भी 700 बार प्रेशर पर यानी हाइड्रोजन को बहुत ज्यादा कंप्रेस करना होगा तब जाकर आधे के जी से भी कम हाइड्रोजन उसमें भर पाएंगे और इतनी ज्यादा हाई प्रेशर के लिए बहुत ज्यादा मजबूत टैंक बनाना होगा जिससे कार के कॉस्ट बढ़ जाएगी पर इस इतनी सी हाइड्रोजन से यह कार लगभग 45 किलोमीटर तक चल जाएगी और यदि 5 से 10 केजी का टैंक इस कार में सेट करना हो तो बहुत बड़ा टैंक लगाना होगा जो कि पॉसिबल नहीं है इसका एक छोटा सा सलूशन यह भी है कि हाइड्रोजन को गैस में ना रखें यदि हम लिक्विफाई कर दे तो इसको छोटे टैंक में भी स्टोर किया जा सकता है लेकिन हाइड्रोजन को लिक्विफाई करना बहुत ही मुश्किल है और लिक्विड में करने के बाद में इसका जो टेंपरेचर है वह माइनस 253 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है तो इतना कम टेंपरेचर कार की एफिशिएंसी को 40% तक रिड्यूस कर देता है जो कि सही नहीं है इसलिए इसको कंप्रेस करके गैस के फॉर्म में ही भरा जाता है

अगला डिसएडवांटेज इसका यह भी है कि हाइड्रोजन को ट्रांसपोर्ट करना बहुत ही मुश्किल है | जैसा कि मैंने बताया कि इसकी डेंसिटी बहुत ही कम होती है तो बड़े-बड़े टैंक में बहुत ही कम हाइड्रोजन को ट्रांसफर कर पाएंगे वह भी बहुत ज्यादा प्रेशर के साथ में तो यदि इसकी ट्रांसपोर्टेशन की कॉस्ट बढ़ती है तो इनडायरेक्टली उसका इफेक्ट कार की कॉस्ट पर ही पाता है और ऊपर से इसकी फ्यूल की कॉस्ट भी बहुत ज्यादा हाई हो जाएगी तो इसके सॉल्यूशन के लिए जो कार के रिफिलिंग स्टेशन है वहीं पर छोटे-छोटे हाइड्रोजन तैयार करने के लिए प्लांट लगाया जाए लेकिन इसकी कॉस्ट बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी क्योंकि हर कहीं पर हाइड्रोजन स्टेशन लगाना पॉसिबल नहीं है ऊपर से हाइड्रोजन को स्टोर करने के लिए अलग अलग टाइप के इक्विपमेंट तैयार करने होंगे जो हाइड्रोजन को सिक्योर लिस्ट सेव कर सके |

इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन की स्तिथि क्या है ?

हाइड्रोजन-कार-इन-हिंदी
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जहां हम इलेक्ट्रिक कार को कहीं पर भी चार्ज कर सकते हैं यदि हमें इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन नहीं मिल पाए तो हम कार को धीरे-धीरे ही सही पर घर पर चार्ज तो कर सकते हैं लेकिन हाइड्रोजन फ्यूल वाली कार को रिफ्यूल करवाना थोड़ा अलग ही सिस्टम होगा हाइड्रोजन फ्यूल वाली कार के सामने सबसे बड़ी समस्या इसके टैंक को लेकर यह हाइड्रोजन को गैस की फॉर्म में स्टोर कैसे किया जाए यदि इतने प्रेशर से गाड़ी के अंदर हाइड्रोजन भरी जाएगी और बाई चांस कभी टैंक फट गया तो एकदम बम जैसा धमाका होगा लेकिन कुछ कंट्री चाइना जर्मनी जापान इस हाइड्रोजन फ्यूल वाली कार पर पूरे जोर शोर से रिसर्च में लगे हुए हैं और उनका टारगेट है आने वाले टाइम में 10 से 15 लाख कार मार्केट में उतारी जाए और आने वाले टाइम में इस हाइड्रोजन फ्यूल को स्टोर करने के लिए और कार की कॉस्ट को कम करने के लिए पूरी रिसर्च चल रही है दोस्तों आपका क्या कहना है इस हाइड्रोजन फ्यूल कार के बारे में क्या यह हमारी पृथ्वी का भविष्य है जरूर से कमेंट बॉक्स में बताना |

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