थर्मल पावर प्लांट कैसे काम करता है ?

थर्मल पावर प्लांट कैसे काम करता है ?

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे है थर्मल पावर प्लांट के बारे में की थर्मल पावर प्लांट कैसे काम करता है ? और इसके उपयोक क्या क्या है ? साथ ही हम आपको इससे जुडी बहुत सी महत्वपूर्ण व रोचक जानकारियाँ आपके साथ साझा करेंगे |

थर्मल पावर प्लांट दुनिया की कुल बिजली की मांग में से लगभग आधी मांग को पूरा करने में मदद करते हैं वो वर्किंग फ्लूएड के तौर पर पानी का इस्तेमाल करते हैं | आज की थर्मल पावर प्लांट कड़े एनवायर्नमेंटल स्टैंडर्ड का पालन करते हुए ज्यादा अफिसिएन्सी से काम करने में सक्षम है |

कोयला बेस्ड थर्मल पावर प्लांट बिजली पैदा कैसे करता है?

थर्मल-पावर-प्लांट-कैसे-काम-करता-है
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इस जनरेटर के शाफ्ट को घुमा कर हम बिजली पैदा कर सकेंगे | जनरेटर स्टीम टरबाइन से गति प्राप्त करता है जिसे पावर प्लांट का दिल कहा जाता है स्टीम टरबाइन को टर्न करने के लिए आपको टरबाइन के इनलेट पर एक हाई प्रेशर एंड हाई टेंपरेचर स्टीम सप्लाई करनी होगी क्योंकि टरबाइन हाई एनर्जी फ्लुएड से एनर्जी हासिल करता है इसके कारण बस आउटलेट की ओर इस का प्रेशर और टेंपरेचर गिर जाता है आप वशिष्ट आकार के स्टीम टरबाइन रोटर ब्लेड पर करीब से नजर डाल सकते हैं हाई केपेसिटी वाले पावर प्लांट स्टीम टरबाइन के विभिन्न स्टेज इसका इस्तेमाल करते हैं जैसे की –

  • हाई प्रेशर टरबाइन
  • इंटरमीडिएट प्रेशर टरबाइन
  • लो प्रेशर टर्बाइंस

तो अब हमने अपना उद्देश्य हासिल कर लिया है हमने जनरेटर से बिजली का उत्पादन किया है अगर हम लो प्रेशर और लो टेंपरेचर टीम को उनकी मूल स्थिति में वापस ला सकते हैं जो बहुत हाई प्रेशर और टेंपरेचर पर थे तो हम इस प्रक्रिया को दोहरा सकते हैं पहला कदम है प्रेशर को बढ़ाना – आप इस उद्देश्य के लिए एक कंप्रेसर का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन टीम को कंप्रेस करना एक बहुत ही ज्यादा एनर्जी इंटेंसिव प्रोसेस है और ऐसा पावर प्लांट बिल्कुल भी कुशल नहीं होगा |

स्टीम को लिक्विड में परिवर्तित कैसे करते है ?

इसका आसान तरीका यह है कि स्टीम को लिक्विड में परिवर्तित किया जाए और प्रेशर को बढ़ाया जाए | इस उद्देश्य के लिए हम कंडेनसर हीट एक्सचेंजर्स का इस्तेमाल करेंगे जो कम प्रेशर वाली टरबाइन के नीचे स्थित है | कंडेनसर में ठंडे पानी की एक धारा ट्यूब्स में बहती है स्टीम इस लिक्विड धारा में गर्मी को छोड़ देती है और कंडेन्स हो जाती है | हमें इस फील्ड के प्रेशर को बढ़ाने के लिए एक पंप का इस्तेमाल कर सकते हैं | आमतौर पर इस उद्देश्य के लिए मल्टीस्टेज सेंट्रीफुगल पंप इनका इस्तेमाल किया जाता है इस तरह से प्रेशर अपनी मूल स्थिति में वापस आ जाएगा अगला कार्य टेंपरेचर को उसके ओरिजिनल वैल्यू पर वापस लाना है इस उद्देश्य के लिए बॉयलर की मदद से पंप के एग्जिट पर हिट को जोड़ा जाता है उच्च क्षमता वाले पावर प्लांट आमतौर पर वॉटर ट्यूब बॉयलर कहे जाने वाले बॉयलर का इस्तेमाल करते हैं | इसके बाद पल्प राइज़ड कोयले को बॉयलर के अंदर जला दिया जाता है |

इकोनोमाइजर क्या है ?

थर्मल-पावर-प्लांट-कैसे-काम-करता-है
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पानी शुरू में एक इकोनोमाइजर से गुजरता है यहां पानी फ्लू कैसे एनर्जी ग्रहण करेगा पानी एक डाउनकमर के माध्यम से और फिर पानी की दीवारों में से बहता है जहां यह टीम में बदल जाता है शुद्ध स्टीम को स्टीम ड्रम में अलग कर लिया जाता है | अब वर्किंग फ्लोएड अपनी मूल स्थिति में वापस आ गया है हाई प्रेशर और हाई टेंपरेचर में इस टीम को स्टीम टरबाइन में वापस संरक्षित किया जा सकता है और निरंतर बिजली उत्पादन के लिए इस चक्र को बार-बार दोहराया जा सकता है लेकिन इस बुनियादी रैंकिन साइकिल पर काम करने वाले एक पावर प्लांट की एफिशिएंसी और क्षमता कम होगी हम कुछ सरल तकनीकों की मदद से पावर प्लांट के प्रदर्शन को काफी बढ़ा सकते हैं | सुपर हीटिंग के मामले में लिक्विड को स्टीम में परिवर्तित करने के बाद भी और भी अधिक हीट इकठ्ठा हो जाती है और इससे हीट और भी सुपरहिट हो जाती है |

कैर्नोट की थ्योरम कैसे काम करता है ?

स्टीम का टेंपरेचर जितना अधिक होगा साईकिल उतनी ही ज्यादा एफिशिएंट होगी यह कैर्नोट की थ्योरम मैक्सिमम पॉसिबल थर्मल एफिशिएंसी के अनुसार है लेकिन स्टीम टरबाइन मैटेरियल 600 डिग्री सेल्सियस से अधिक टेंपरेचर का सामना नहीं कर पाएगा इसलिए सुपरहीटिंग उस सीमा तक सीमित है ब्लड की पंक्तियों के साथ बहते हुए टीम का टेंपरेचर कम हो जाता है नतीजतन पावर प्लांट की एफिशिएंसी को बढ़ाने का एक शानदार तरीका यह है कि पहली टरबाइन स्टेज के बाद हीट ऐड कर दी जाए इसे रिहीटिंग कहते हैं और यह सिम के टेंपरेचर को फिर से बढ़ा देगा जिससे एक हाई पावर आउटपुट और अधिक एफिशिएंसी प्राप्त होगी पावर प्लांट के कंप्रेशर वाले साइड का जटिल सीलिंग अरेंजमेंट के बावजूद भी वायुमंडलीय हवा को सोख लेने का खतरा रखते हैं |

पावर प्लांट कि एफिशिएंसी कितनी होती है ?

स्पीड वाटर में घोली हुई गैसे समय के साथ बॉयलर के मटेरियल को खराब कर देंगे | इन घुली हुई गैसों को हटाने के लिए एक खुला फीड वॉटर हीटर पेश किया जाता है टरबाइन से गर्म स्टीम को फीड वाटर में मिलाया जाता है जिससे उत्पन्न स्टीम बबल्स घुली हुई गैसों को सोख कर लेंगे | यह मिश्रण फीड वॉटर को पहले से गर्म कर देता है जिससे पावर प्लांट कि एफिशिएंसी में और भी अधिक सुधार होता है | यह सभी तकनीकी आधुनिक पावर प्लांट को 40 से 45% की एफिशिएंसी की सीमा पर काम कराती है |

थर्मल-पावर-प्लांट-कैसे-काम-करता-है
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वास्तविक पावर प्लांट में हीट एडिशन और हीट रिजेक्शन कैसे किया जाता है ?

कूलिंग टावर की मदद से ठंडे लिक्विड को कंडेनसर में सप्लाई किया जाता है कंडेनसर आउटलेट से गर्म किए गए पानी को कूलिंग टावर में छिड़का जाता है जो एक प्राकृतिक एयरड्रॉप्ड को शुरू करता है और छिलका गया पानी अपनी हिट खो देता है इस तरह से एक ठंडा लिक्विड हमेशा कंडेनसर इनलेट ( जो अंदर की तरफ जा रहा हो ) में प्रदान किया जाता है | एडिशन साइट पर जलता हुआ कोयला कई प्रदूषक पैदा करता है हम इन प्रदूषकों को सीधे वायुमंडल में नहीं छोड़ सकते हैं इसलिए उन्हें एक भीड़ में ट्रांसफर करने से पहले निकलने वाली गैस को इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रेसिपिटेटर में साफ किया जाता है |

ईएसपी प्रदूषक कणो को अब्जॉर्ब करने के लिए हाई वोल्टेज स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी प्लेटो का इस्तेमाल करता है | हमें उम्मीद है कि हमने थर्मल पावर प्लांट के आंतरिक कामकाज में आपको नई मेहत्वपूर्ण व रोचक जानकारी दी है |

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